कृतज्ञता


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

कृतज्ञता : तुम ही सब बंद द्वारों को खोलती हो और उस कृपा को जो रक्षा करती हैं, गहराई में ले जाती है ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)


0 Comments