कृतज्ञता : तुम ही सब बंद द्वारों को खोलती हो और उस कृपा को जो रक्षा करती हैं, गहराई में ले जाती है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
कृतज्ञता : तुम ही सब बंद द्वारों को खोलती हो और उस कृपा को जो रक्षा करती हैं, गहराई में ले जाती है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
0 Comments