काम-वासनाएँ अच्छा खाने से नहीं आती, बल्कि गलत तरीके से सोचने और उसी पर केन्द्रित होने से आती है । तुम उसके बारें में जितना ही कम सोचो उतना ही अच्छा है। तुम उस बात पर जोर न दो जो तुम बनना नहीं चाहते, इसके विपरीत उस पर जोर दो जो तुम बनना चाहते हो।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…