काम में रस


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

आपने लिखा था, “काम में रस होना चाहिये। ” लेकिन मैं पूर्ण रस या मजा नहीं ले पाता। 

कार्य की उत्तम अवस्था है कि तुम जो कर रहे हो उसमें रस लो – लेकिन उत्तम अवस्था हमेशा तुरंत पाना संभव नहीं होता ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र एक युवा साधक के नाम 


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