काम में कठिनाइयाँ परिस्थितियों या बाहर की छोटी-मोटी घटनाओं से नहीं आती । वे आंतरिक वृत्ति की (विशेषकर प्राणिक वृत्ति की) किसी चीज़ से आती हैं जो गलत होती है – अहंकार, महत्वकांक्षा, काम के बारे में मानसिक धारणाओं की दृढ़ता आदि से आती हैं। यह ज़्यादा अच्छा है कि हमेशा असामंजस्य के कारण को किसी और या औरों में ढूँढने के जगह, उसे ठीक करने के लिए अपने अंदर ढूंढा जाये।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
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श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…