यदि अच्छी कामनाएँ हैं तो बुरी कामनाएँ भी आयेंगी। संकल्प और अभीप्सा तो साधना के अंग हैं, लेकिन कामना के लिए स्थान नहीं है। अगर साधक में कामना है तो उसमें आसक्ति, मांग की भावना, लालसा, समता का अभाव, इच्छित वस्तु न पाने पर शोक तथा दु:ख अवश्य होंगे, और ये सभी चीज़ें अयौगिक है ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र
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