जो बुद्धि के उच्चतर स्तरों पर पहुंच चुके है, लेकिन जिन्होंने मानसिक क्षमताओं पर अधिकार नहीं पाया है उनमें एक निर्दोष आवश्यकता यह होती है कि हर एक व्यक्ति उन्हीं की तरह सोचे और उसी तरह समझे जैसे वे समझते है और जब वे देखते है कि अन्य लोग नहीं देख पाते, नहीं समझ पाते, तो उनकी प्रतिक्रिया होती है, उन्हें धक्का लगता है और वे कहते है : ”कैसे हैं! ” लेकिन वे मूर्ख नहीं हैं, वे भिन्न हैं, वे दूसरे क्षेत्र में हैं । तुम जानवर के पास जाकर यह नहीं कहते. ”तुम मूर्ख हों”, तुम कहते हों ”यह जानवर है ।’, उसी भांति तुम कहते हों. ”यह आदमी है ।” यह आदमी है, हां, कुछ ऐसे लोग है जो अब मनुष्य नहीं रहे और अभी देवता भी नहीं बने है । वे एक ऐसी स्थितिमें… कुछ अजीब, भद्दी-सी स्थितिमें हैं ।
सन्दर्भ : पथ पर
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…