मधुर माँ,
हम मन की एकाग्रता और इच्छा-शक्त को कैसे बढ़ा सकते हैं ? कुछ भी करने के लिए वे बहुत ज़रूरी हैं।
नियमित, अध्यवसायपूर्ण,आग्रही, अथक अभ्यास द्वारा – मेरा मतलब है, एकाग्रता और इच्छा-शक्ति के अभ्यास द्वारा।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड – १६)
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