एकांतवास का प्रेम इस बात का लक्षण है कि तुममें ज्ञान कि खोज करने की प्रवृत्ति है; परंतु स्वयं ज्ञान केवल तभी प्राप्त होता है जब हम भीड़-भाड़ के अंदर, संग्राम और हाट-बाजार के अंदर एकांतता का स्थायी बोध प्राप्त कर लेते है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…