जो लोग सत्यके अनुसार अपना-जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, उनके लिये एकमात्र मार्ग है भागवत उपस्थिति के प्रति सचेतन होना और केवल उन्हीं की इच्छा के अनुसार जीवन बिताना ।
अशुभ और कष्ट से बचने का एकमात्र मार्ग यही है; सदा शांति, प्रकाश और आनंद में निवास करनेका भी यही एकमात्र मार्ग है ।
सन्दर्भ : ‘विचार और सूत्र’ के प्रसंग में
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…