तुमने सर्वदा ही अपने मन और संकल्पशक्ति की क्रिया पर अत्यधिक भरोसा रखा है-इसी कारण तुम उन्नति नहीं कर पाते। यदि तुम माताजी की शक्ति पर चुपचाप भरोसा बनाये रखने की आदत डाल दो – महज अपने निजी प्रयास की सहायता करने के लिए उसे पुकारने की आदत नहीं – तो बाधा कम हो जाएगी और अंत में एकदम दूर हो जाएगी।
संदर्भ : माताजी के विषय में
एक आन्तरिक विनम्रता अत्यंत आवश्यक है, किन्तु मुझे नहीं लगता कि बाहरी विनम्रता बहुत उपयुक्त…
चेतना के परिवर्तन द्वारा वस्तुओं की बाहरी प्रतीतियों से निकल कर उनके पीछे की सच्चाई…
नीरवता ! नीरवता ! यह ऊर्जाएँ एकत्र करने का समय है, व्यर्थ और निरर्थक शब्दों…
जब तक कि मनुष्य अपने अन्दर गहराई में नहीं जीता और बाहरी क्रिया-कलापों को बस…