श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

उदात्ततम साहस-यात्रा

… एक क्षण होता है जब जीवन, जैसा कि वह इस समय है, मानव चेतना, जैसी कि वह इस समय है, एकदम असह्य हो जाती है, वह एक प्रकार की जुगुप्सा पैदा करती है; व्यक्ति कह उठता है ” नहीं, यह वह नहीं है, यह वह नहीं है; यह वह नहीं हो सकता, यह जारी नहीं रह सकता। ”

हाँ तो, जब तुम यहाँ तक पहुँच जाओ, तो बस अपने सब कुछ की आहुति देनी बाकी रहती है – अपना सारा प्रयास, अपना सारा बल, अपना सारा जीवन , अपनी सारी सत्ता – इस अपवादिक अवसर में झोंक दो जो तुम्हें उस पार जाने के लिए दिया गया है। नये पथ पर पग रखने में कितनी राहत है, उस पथ पर जो तुम्हें कही और ले जायेगा ! आगे छलांग लगाने के लिए बहुत सारे असबाब पीछे फेंकने का, बहुत सारी चीजों से पिण्ड छुड़ाने का यह कष्ट उठाना सार्थक होगा। मैं समस्या को इसी रूप में देखती हूँ।

वस्तुतः यह उदात्ततम साहस-यात्रा  और अगर तुम्हारें अंदर जरा भी साहस-यात्रा की भावना है, तो यह सर्वस्व के लिए सर्वस्व की बाजी लगाने-लायक है ।

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५५

 

शेयर कीजिये

नए आलेख

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले

प्रगति का अंदाज़

मधुर मां, हम यह कैसे जान सकते हैं कि हम व्यक्तिगत और सामुदायिक रूप में…

% दिन पहले