उच्च अभीप्सा


महर्षि श्रीअरविंद का चित्र

अपनी सभी गतिविधियों में संकल्प के पूर्ण समर्पण के माध्यम से भागवत उपस्थिती तथा शक्ति के साथ अपनी आत्मा का एकत्व स्थापित करना कर्मयोग के पथिक की उच्च अभीप्सा होती है ।

संदर्भ :  श्रीअरविंद (खण्ड-१२)


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