सभी सिद्धान्त, सभी शिक्षाएं अन्तिम विश्लेषण में बोलने या लिखने के तरीकों से बढ़कर और कुछ नहीं होती । यहा तक की ऊंचे-से-ऊंचे अंतर्दर्शन भी उनके साथ आने वाली उपलब्धि की शक्ति से बढ़कर और कुछ नहीं होते ।
उच्चतम सत्य को प्राप्त करने के उपाय या पद्धति के बारे में लिखी या पढ़ी गयी सैकड़ों पुस्तकों से बढ़कर है उच्चतम सत्य को जीना – भले वह मिनट भर के लिये क्यों न हो ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग -२)
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