दर्शन संदेश १५ अगस्त २०१८ (२/४)
अधः लोक की अन्ध शक्तियाँ
अब भी किन्तु प्रबल हैं।
आरोहण की गति धीमी है,
लम्बा बहुत समय है।
तब भी सत्य उठेगा ऊपर,
तब भी शान्ति बढेगी,
आयेगा वह दिन जन-जन
हिलमिल जब एक बनेंगे।
इसीलिए तो एक क़दम
बढ़ना भी बड़ी विजय है।
ज़रा-ज़रा कर दिव की ओर
मही को मुड़ना होगा।
धूमिल आत्मा एक रोज़
ज्योतिर्जग में जागेगी।
सन्दर्भ : सावित्री
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…