हमारी प्रकृति न केवल संकल्प और ज्ञान के क्षेत्र में प्रान्त है बल्कि शक्ति के क्षेत्र में भी दुर्बल है। किन्तु भागवत शक्ति यहां मौजूद  है और यदि हम इसमें श्रद्धा रखें तो यह हमें मार्ग दिखलायेगी तथा यह भागवत प्रयोजन की पूर्ति के लिए हमारी त्रुटियों और हमारी क्षमताओं दोनों का उपयोग करेगी। यदि हम अपने तात्कालिक लक्ष्य में विफल हो जाते हैं तब इसका अर्थ है कि वे विफलता ही चाहते थे। प्रायः यह देखा गया है कि हमारी विफलता या दुष्परिणाम उस स्थिति की अपेक्षा महत्तर सत्य तक पहुंचने का सही मार्ग होता है जब हमें तत्काल सफलता मिल जाती। यदि हमें दुःख होता है तो इसका कारण यह है कि हमारे अन्दर किसी चीज को आनन्द की एक दुर्लभ सम्भावना के लिए तैयारी करने की आवश्यकता है। यदि हमें ठोकर लगती है तो इसका अर्थ यह है कि एक पूर्णतर तरीके से चलने की कला हमें अन्त में सीखनी शेष है। शान्ति, शुद्धि तथा पूर्णता प्राप्त करने के लिए हमें अत्यधिक उग्रता के साथ जल्दी नहीं मचानी चाहिये। शान्ति हमें निश्चित रूप से प्राप्त करनी होगी, लेकिन वह शान्ति नहीं जो एक खोखली और उजाड प्रकति की होती है या वैसी मृत या विकृत क्षमताओं की होती है जो अशान्ति को वहन करने में असमर्थ होती हैं, क्योंकि हमने उन्हें उत्कटता, अग्नि तथा शक्ति के अयोग्य बना दिया है। शुद्धि निश्चय ही हमारा लक्ष्य होगी, किन्तु वह शुद्धि नहीं जो खाली शून्य में या निर्जनता में तथा जड़ बना देने या जमा देने वाली शीतलता में होती है। पूर्णता की हमसे मांग की जाती है, लेकिन वह पूर्णता नहीं जो संकीर्ण दीवारों में बन्द सीमित कार्यक्षेत्र में ही जीवित रह सकती है या जो अनन्त की निरन्तर आत्म-विस्तारित होती हई सूची पर मनमाना पूर्ण विराम लगा देती है। हमारा उद्देश्य है भागवत प्रकृति में रूपान्तर, भागवत प्रकृति कोई मानसिक या नैतिक अवस्था नहीं, आध्यात्मिक स्थिति है जिसे उपलब्ध करना कठिन कार्य है, बल्कि जिसकी कल्पना करना भी हमारी बुद्धि के लिए कठिन है। हमारे कर्म, हमारे योग के ‘प्रभु’ जानते है कि कर्तव्य-कर्म क्या है और हमें अपने अन्दर यह कार्य उन्हें अपने साधनों द्वारा तथा अपने ही तरीके से करने देने की छुट देनी होगी।

संदर्भ : योग-समन्वय 

 

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले