श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

भारत माता के योग्य शिशु

​अपने तुच्छ, स्वार्थपूर्ण व्यक्तित्व से बाहर निकलो ओर अपनी भारतमाता के योग्य शिशु बनो । अपने कर्तव्यों को सच्चाई और ईमानदारी के साथ पूरा करो और ‘भागवत कृपा ‘ में अडिग विश्वास रखते हुए हमेशा प्रफुल्ल और विश्वासपूर्ण बने रहो ।

सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग – १)

शेयर कीजिये

नए आलेख

निरुत्साहित मत हो

किसी कठिनाई के कारण बेचैन या निरुत्साहित मत होओ, बल्कि चुपचाप और सरल भाव से…

% दिन पहले

बीमारी में अस्वस्थ रुचि

अगर तुम बीमार पड़ते हो तो तुम्हारी बीमारी की इतनी व्याकुलता और भय से देख-रेख…

% दिन पहले

भूलों को ठीक करने का एकमात्र उपाय

भूतकाल के बारे में सोचते रहना बिलकुल गलत है । सच्ची विधि तो यह याद…

% दिन पहले

श्रीअरविंद और श्री माँ की और खुला होना

क्या यह हो सकता है कि एक व्यक्ति जो श्रीअरविंद की ओर खुला है, माँ…

% दिन पहले

पूर्णता और कर्म

अगर लोगों को पूर्ण होने की वजह से काम को बंद कर देना पड़े तो…

% दिन पहले

दूसरों की राय

जो दोषहीन है वह दूसरों की राय की परवाह नहीं करता । संदर्भ : माताजी…

% दिन पहले