जैसे ही तुम सन्तुष्ट हो जाते हो और किसी चीज के लिए अभीप्सा नहीं करते, तुम मरना शुरू कर देते हो। जीवन गति है, जीवन प्रयास है, वह आगे कूच कर रहा है, भावी रहस्योद्घाटनों और उपलब्धियों की ओर चढ़ रहा है। आराम करना चाहने से बढ़कर खतरनाक कुछ नहीं है।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग -३)
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…