हे माँ, मैं आपसे सचमुच बहुत दूर हूँ !
इसका कारण यह है कि तुम बहुत बिखरे हुए हो – तुम्हारी चेतना एकाग्र रहने की बजाय बाहरी, सतही चीजों की ओर दौड़ती है ।
संदर्भ : शांति दोशी के साथ वार्तालाप
कृपया बतलाइये कि मैं अपने अतीत से कैसे पिण्ड छुड़ा सकता हूँ, जो इतने जोर…
सन्यासी होना अनिवार्य नहीं है - यदि कोई ऊपरी चेतना में रहने के बजाय आन्तरिक…
बाहरी रंग-रूप से निर्णय न करो और लोग जो कहते हैं उस पर विश्वास न…
भगवान् तुम्हारी अभीप्सा के अनुसार तुम्हारे साथ हैं । स्वभावत:, इसका यह अर्थ नहीं है…
मां, ग्रहणशीलता किस बात पर निर्भर करती है? इसका पहला आधार है सच्चाई-व्यक्ति सचमुच ग्रहण…
जैन दर्शन का संबंध व्यक्तिगत पूर्णता से है। हमारा प्रयास बिल्कुल भिन्न है। हम एक…