आधे घंटे का ध्यान


महर्षि श्रीअरविंद अपने कक्ष में

दिन में आधे घंटे का ध्यान संभव होना चाहिये – यदि चेतना में केवल एकाग्रता की आदत डालनी हो, जो पहले तो कार्य करते समय कम बहिर्मुख बनने में मदद करेगी और, दूसरा, ऐसी ग्रहणशील प्रवृति विकसित करेगी जिसका लाभ कार्य करते समय भी मिल सकता है ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग -२)


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