अहंकार


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

सभी परिस्थितियों में मुस्कुराना जानना भागवत प्रज्ञा की ओर जाने का सबसे शीघ्रगामी रास्ता है।

अहंकार नाराज और बेचैन हो उठता है और यही अहंकार तुम्हारी चेतना को धुंधला बनाता और तुम्हारी प्रगति में बाधा डालता है।

अहंकार इसलिए नहीं बदलता क्योंकि उसे इस निश्चिति का अनुभव होता है कि वह हमेशा ठीक होता है।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)


0 Comments