अहंकारी भावना


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

स्वाभाविक है कि महानतर अनुभूतियाँ होने पर सत्ता उल्लासित हो उठती है, साथ-ही-साथ उसमें अद्भुतता तथा चमत्कार का भाव भी आ सकता है, लेकिन उल्लास में कोई अहंकारी भावना नहीं होनी चाहिये।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र 


0 Comments