मधुर माँ, अगर मैं अपने सारे जीवन और उसकी परिस्थितियों पर नज़र डालूँ तो मैं बहुत ख़ुश होता हूँ, लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूँ। बहुत बार मैं असह्य दु:ख में डूब जाता हूँ। मैं क्या करूँ?
सच्चा सुख जीवन की बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करता। तुम अपनी चैत्य सत्ता को खोज कर और उसके साथ एक होकर ही सच्चा सुख पा सकते हो उसे सतत बनाये रख सकते हो।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
0 Comments