स्वर्गीय श्री पृथ्वीसिंह नाहर ने बताया, “एक दिन निद्रा की स्थिति में मुझे अचानक अपने ह्रदय में कुछ बेचैनी और भारीपन की प्रतीति हुई जो बाद में तीव्र पीड़ा में बदल गई। मैंने तुरंत प्रार्थना करके श्रीमाँ को सहायता के लिये पुकारा । मैंने देखा कि दो बहुत लम्बे दीर्घकाय व्यक्तियों ने सिर में होकर मेरे अंदर प्रवेश किया और उनमें से एक ने अपने विशाल हथेली से मेरे ह्रदय की मालिश आरम्भ कर दी। मैं पूरी तरह पीड़ामुक्त हो गया। सवेरे जब में श्रीमाँ से मिला, मैंने उन्हें अपना अनुभव सुनाया। उन्होंने कहा, “हाँ, पृथ्वीसिंह, तुमने मेरी सहायता के लिए प्रार्थना की और मैंने दोनो अश्विनी कुमारों को बुलाकर तुम्हारी सेवा के लिये भेज दिया।’ ”
संदर्भ : श्रीअरविंद और श्रीमाँ की दिव्य लीला
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दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
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