प्यारी माँ,
मैंने देखा है कि ‘क’ की उपस्थिती में मैं कुछ चीज़ें नहीं कर पाती जैसे, जोर-जोर से बोलना या इसी तरह की कुछ असभ्य चीज़ें करना ।
अपना अवलोकन करना अच्छा है ताकि तुम अपनी कमजोरियाँ देख सको और उन्हें सुधारने लायक बन सको।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…