सर्वशक्तिमान होने के नाते भगवान धरती पर उतरने का झंझट किये बिना ही लोगों को ऊपर उठा सकते हैं। अवतारवाद का तभी कुछ अर्थ होता है जब वह सांसारिक व्यवस्था का एक अंग हो, भगवान मानवजाति का भार अपने ऊपर लें और उसके लिए रास्ता खोलें।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग -३)
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