प्यारी माँ,
आपका प्रेम ही मेरे लिए सच्चा आश्रय और बल है। माँ, मैं आपको जो कुछ अर्पित करता हूँ वह एक गंदला मिश्रण है जिसके बारे में मैं बहुत लज्जित हूँ, लेकिन उसे आप ही शुद्ध कर सकती है ।
मेरे बहुत प्यारे बच्चे,
अर्पण का रूप चाहे जैसा हो, जब वह सच्चाई के साथ किया जाता है तो हमेशा अपने अंदर भागवत प्रकाश की एक चिंगारी लिये रहता है जो पूर्ण सूर्य में विकसित हो सकती और समस्त सत्ता को आलोकित कर सकती है। तुम मेरे प्रेम के बारे में विश्वस्त रह सकते हो, तुम मेरे सहायता के बारे में विश्वस्त रह सकते हो और हमारे आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
उदार हृदय हमेशा पुराने दुर्व्यवहारों को भूल जाता है और दुबारा सामंजस्य लाने के लिए…
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…