Home श्री माँ के वचन अभ्यास 3 वर्ष ago 3 वर्ष ago श्री माँ के वचन अभ्यास by श्री माँ 3 वर्ष ago3 वर्ष ago ज़रा-सा सच्चा निष्कपट और नियमित अभ्यास, बहुत से अल्पजीवी प्रणों से कहीं अधिक मूल्यवान है। संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड -१६) Post PaginationPrevious PostPreviousNext PostNext श्रीमातृवाणी खण्ड १६, निष्कपट, अभ्यास Posted by श्री माँ 0 Comments जवाब रद्द करेंYou must be logged in to post a comment. Previous Post शुद्धि मुक्ति की शर्त है by श्रीअरविंद Next Post एकाग्रता कैसे बढ़ाएँ by श्री माँ
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