प्रश्न : जब साधक किसी अभीप्सा का अनुभव नहीं करता और न कोई अनुभूति ही पाता है तो उसे अपनी साधना से चिपके रहने के लिए क्या करना चाहिये?
उत्तर: श्रीमाँ का स्मरण करो, नीरव रहो और उन्हें पुकारते रहो ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र
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चेतना के परिवर्तन द्वारा वस्तुओं की बाहरी प्रतीतियों से निकल कर उनके पीछे की सच्चाई…
नीरवता ! नीरवता ! यह ऊर्जाएँ एकत्र करने का समय है, व्यर्थ और निरर्थक शब्दों…
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