प्रश्न : जब साधक किसी अभीप्सा का अनुभव नहीं करता और न कोई अनुभूति ही पाता है तो उसे अपनी साधना से चिपके रहने के लिए क्या करना चाहिये?

उत्तर: श्रीमाँ का स्मरण करो, नीरव रहो और उन्हें पुकारते रहो ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र 

शेयर कीजिये

नए आलेख

बाहरी विनम्रता

एक आन्तरिक विनम्रता अत्यंत आवश्यक है, किन्तु मुझे नहीं लगता कि बाहरी विनम्रता बहुत उपयुक्त…

% दिन पहले

नमन

मेरे मौन और विनम्र पूजा-भाव के साथ प्रणाम ... । मैं तेरी महिमा के आगे…

% दिन पहले

चेतना का परिवर्तन

चेतना के परिवर्तन द्वारा वस्तुओं की बाहरी प्रतीतियों से निकल कर उनके पीछे की सच्चाई…

% दिन पहले

देश के विषय में राय

नीरवता ! नीरवता ! यह ऊर्जाएँ एकत्र करने का समय है, व्यर्थ और निरर्थक शब्दों…

% दिन पहले

सांसारिक जीवन

सांसारिक जीवन संघर्ष का जीवन है - इस पर उचित तरीके से चलने के लिए…

% दिन पहले

स्थायी शांति

जब तक कि मनुष्य अपने अन्दर गहराई में नहीं जीता और बाहरी क्रिया-कलापों को बस…

% दिन पहले