अप्रसन्नता


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ नलिनी कान्त गुप्त के साथ

जिस क्षण तुम दुःख अनुभव करने लगो उसी क्षण तुम उसके नीचे लिख सकते हो, “मैं सच्चा नहीं हूँ।” ये दो वाक्य साथ साथ चलते है

“मैं दुःखी हूँ।”

“मैं सच्चा नहीं हूँ।”

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५४

 


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