अपमान, तिरस्कार से ऊपर उठ जाने से आदमी सचमुच बड़ा हो जाता है ।
संदर्भ : माताजी के वचन(भाग-२)
हमारे युग में सफलता और उससे मिलने वाली भौतिक तुष्टि का ही मूल्य है। फिर…
वर्तमान बढ़ते हुए संघर्ष में हमारी वृत्ति कैसी होनी चाहिये? ‘भागवत कृपा’ में श्रद्धा और…
१. दूसरों पर नियन्त्रण रख सकने के लिए स्वयं अपने ऊपर पूर्ण नियन्त्रण पाना अनिवार्य…
मधुर माँ, सचमुच "भगवान को पाने" का क्या अर्थ है? इसका अर्थ है अपने अन्दर…
केवल अपने लिए अतिमानस को प्राप्त करना मेरा अभिप्राय बिल्कुल नहीं है - मैं अपने…
मधुर माँ , जल्दी सोना और जल्दी उठना क्यों ज्यादा अच्छा है ? सूर्यास्त के…
परम प्रभु के लिये पाप का अस्तित्व ही नहीं है - सभी दोष सच्ची अभिप्सा…
प्रश्न : जब साधक किसी अभीप्सा का अनुभव नहीं करता और न कोई अनुभूति ही…
हमेशा अहंकार अवसाद में डूब जाता है । उसकी परवाह न करो। चुपके से अपना…