मधुर माँ, कृपया आप मुझे बतलायेंगी कि मैं अपने बारे में इतना अधिक क्यों सोचता हूँ? मेरे ख्याल से ऐसे भी लोग हैं जो अपने बारे में एकदम से नहीं सोचते ।
ऐसे व्यक्ति सचमुच बिरले हैं। अपने बारे में सोचना मनुष्यों में सबसे अधिक प्रचलित आदत है। केवल कोई योगी ही इससे मुक्त हो सकता है ।
संदर्भ : शांति दोशी के साथ वार्तालाप
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