श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

अपना चुनाव एकबारगी कर लो

१. कोई महत्त्वाकांक्षा न रखो, और सबसे बढ़कर यह कि किसी चीज का दिखावा न करो, हर क्षण, तुम अधिक-से-अधिक जो हो सकते
हो वह बनो।

२. वैश्व अभिव्यक्ति में तुम्हारा क्या स्थान है, यह तुम्हारे लिए परम पुरुष ही ठीक करेंगे।

३. परम प्रभु ने अलंघ्य रूप से संसार के वाद्यवन्द में तुम्हारा स्थान निश्चित कर दिया है, लेकिन वह स्थान जो भी हो, तुम्हें भी अतिमानसिक उपलब्धि की चरम ऊंचाइयों तक चढ़ने का उतना ही अधिकार है जितना औरों को।

४. अपनी सत्ता के सत्य में तुम क्या हो, यह अलंध्य रूप से निश्चित कर दिया गया है, कोई व्यक्ति या कोई चीज तम्हें वह होने से नहीं रोक सकती; लेकिन यह तुम्हारे स्वतन्त्र चुनाव पर छोड़ा गया है कि तुम वहां तक पहुंचने के लिए कौन-सा रास्ता अपनाओ।

५. ऊपर उठते हुए विकास में हर एक अपनी दिशा चुनने के लिए स्वतन्त्र है : वह चाहे तो ‘सत्य’ के शिखरों की, चरम उपलब्धि की ओर जाने वाली तेज और खड़ी चढ़ाई अपनाये या शिखरों से मुंह मोड़कर, उतरते हुए अनन्त जन्मों के अनिश्चित, सरल, सर्पिल मार्ग को स्वीकारे।

६. काल की गति में, बल्कि इसी जीवन में तुम एक ही बार, हमेशा के लिए, अटल रूप में अपना चुनाव कर सकते हो, और तब तुम्हें हर
नये अवसर पर उसका अनुमोदन करना होगा; या फिर, अगर आरम्भ में तुमने अन्तिम निर्णय न लिया हो तो तुम्हें हर क्षण सत्य और
मिथ्यात्व के बीच चुनाव करना होगा।

७. लेकिन अगर तुमने आरम्भ में अलंघ्य निर्णय नहीं भी लिया, अगर तुम्हें वैश्व इतिहास के उन अपूर्व क्षणों में जीने का सौभाग्य प्राप्त हो
जब ‘कृपा’ उपस्थित हो, धरती पर अवतरित हई हो तो वह फिर से, कुछ अपवादरूप क्षणों में ऐसा अन्तिम चुनाव करने की सम्भावना
प्रदान करेगी जो तुम्हें सीधा लक्ष्य तक ले जायेगा।

 

संदर्भ  : शिक्षा पर

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले