श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

अन्याय का दण्ड

माताजी,

क्या भगवान् अन्याय के दण्ड देते हैं ? क्या भगवान् के लिये किसी को दण्ड देना सम्भव है ?

भगवान् चीजों को उस तरह नहीं देखते जैसे मनुष्य देखते हैं और उन्हें दण्ड देने और पुरस्कार देने की आवश्यकता नहीं होती । प्रत्येक क्रिया अपने अन्दर अपना फल और अपना परिणाम लिये रहता है ।
कर्म की प्रकृति के अनुसार वह तुम्हें ‘भगवान्’ के निकट लाता है या ‘उनसे’ दूर ले जाता है । और यही परम परिणाम है ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले