अनिवार्य गुण


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

साहस और प्रेम ही अनिवार्य गुण हैं ; और सब गुण यदि धुँधले या निस्तेज पड़ जायें फिर भी ये दोनों आत्मा को जीवित रखेंगे।

साहस का अर्थ है भय के सभी रूपों की पूर्ण अनुपस्थिति।

संदर्भ : विचार और सूत्र के प्रसंग में