अनंत में डुबकी


श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ

अगर हम अपरिहार्य रूप से अपनी व्यक्तिगत चेतना की चारदीवारी में बंद होते तो यह सचमुच दु:खद और अभिभूत करने वाला होता – लेकिन अनंत हमारे लिए खुला हुआ है, हमें बस उसमें डुबकी लगानी है ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)


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