मनुष्य को जो कुछ उसे मिलता है उससे संतुष्ट रहना चाहिये फिर भी शांत- रूप से, बिना संघर्ष के, और अधिक पाने के लिये अभीप्सा करनी चाहिये | जब तक सब कुछ नहीं आ जाता । कोई कामना, कोई संघर्ष नहीं – बस, होनी चाहिये अभीप्सा, श्रद्धा, उद्घाटन — और भागवत कृपा ।
सन्दर्भ : श्रीअरविंद के पत्र ( भाग-२)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…