मनुष्य को जो कुछ उसे मिलता है उससे संतुष्ट रहना चाहिये फिर भी शांत- रूप से, बिना संघर्ष के, और अधिक पाने के लिये अभीप्सा करनी चाहिये | जब तक सब कुछ नहीं आ जाता । कोई कामना, कोई संघर्ष नहीं – बस, होनी चाहिये अभीप्सा, श्रद्धा, उद्घाटन — और भागवत कृपा ।
सन्दर्भ : श्रीअरविंद के पत्र ( भाग-२)
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