जीवन की कठिन घड़ियों में हर एक का अत्यावश्यक कर्तव्य है भगवान के प्रति समग्र, अप्रतिबंध आत्म निवेदन में अपने अहंकार पर विजय पाना ।
तब भगवान तुमसे वही करवाएँगे जो तुम्हें करना चाहिये ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड – १६)
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