अचंचल कैसे रहा जाये?


श्रीअरविन्द आश्रम की श्रीमाँ

हे प्यारी मां, जब कोई मुझसे बातें करे तो मुझे अचंचल रहना सिखाइये, क्योंकि, बाद में मेरा मन भटकता है।

अपने-आपको बातचीत के साथ एक न कर लो। उसे ऊपर से, दूर से देखो, मानों कोई दूसरा सुन और बोल रहा है, और एकदम से अनिवार्य शब्दों के अतिरिक्त और कुछ न बोलो।

सन्दर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)

 


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