अंदर का ज्ञान


महायोगी महर्षि श्रीअरविंद का चित्र

जब हमारे अंदर का ज्ञान नया होता है तब वह अजेय होता है; जब वह पुराना हो जाता है तब वह अपना गुण खो देता है । ऐसा इस कारण होता है कि भगवान सर्वदा आगे की ओर बढ़ते रहते है।

संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली


0 Comments