जब तुम प्रकाश को देखते हो तो इसे अंतर्दर्शन कहते है । जब तुम प्रकाश को अपने अन्दर प्रवेश करता हुआ अनुभव करते हो तो यह अनुभूति होती है, जब प्रकाश तुम्हारें अन्दर आकार स्थित हो जाता है और अपने साथ आलोक और ज्ञान को लाता है तो यह साक्षात्कार कहलाता है । परन्तु समान्यतया अंतर्दर्शन अनुभूति भी कहलाते हैं ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
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अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…