अंतर्दर्शन,अनुभूति और साक्षात्कार

जब तुम प्रकाश को देखते हो तो इसे अंतर्दर्शन कहते है । जब तुम प्रकाश को अपने अन्दर प्रवेश करता हुआ अनुभव करते हो तो यह अनुभूति होती है, जब प्रकाश तुम्हारें अन्दर आकार स्थित हो जाता है और अपने साथ आलोक और ज्ञान को लाता है तो यह साक्षात्कार कहलाता है । परन्तु समान्यतया अंतर्दर्शन अनुभूति भी कहलाते हैं ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र 

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले