आधे घंटे का ध्यान
दिन में आधे घंटे का ध्यान संभव होना चाहिये – यदि चेतना में केवल एकाग्रता की आदत डालनी हो, जो पहले तो कार्य करते समय...
दिन में आधे घंटे का ध्यान संभव होना चाहिये – यदि चेतना में केवल एकाग्रता की आदत डालनी हो, जो पहले तो कार्य करते समय...
… क्यों न सरल-सीधे ढंग से भगवान की ओर आगे बढ़ा जाये? सरल भाव से बढ्ने का मतलब है उन पर विश्वास रखना । यदि...
मनुष्यों की सहायता करो, परंतु उन्हें अपनी शक्ति से वंचित कर अकिंचन न बनाओ; मनुष्यों को मार्गदर्शन और शिक्षण दो, परंतु ध्यान रखो कि उनकी...
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं कि उन्हें उनमें सुख प्राप्त होता है। प्रकृति केवल अपने...
ऐसा लगता है कि तुम्हारें अन्दर पुकार उठी है और संभवतः तुम योग करने के लिए उपयुक्त हो; लेकिन योग के अनेक पथ हैं और...
जो विफलता और अपूर्णता की निंदा करता है वह भगवान की निंदा कर रहा है; वह अपनी ही आत्मा को सीमाबद्ध करता और अपनी ही...
यदि तू यह समझता हो कि पराजय ही तेरा अंत है तो फिर, यदि तू अधिक बलवान हो तो भी, युद्ध करने मत जा। क्योंकि...
एकमात्र श्रीमाँ ही तुम्हारा लक्ष्य हैं। वे अपने अन्दर सब कुछ समाये हुये हैं। उनका पास होना अपने पास सब कुछ का होना है। अगर...
यह कब कहा जा सकता है कि व्यक्ति आन्तरिक रूप से माँ की वाणी सुनने को तैयार है ? जब व्यक्ति के अंदर समता, विवेक...
एष: धर्म: सनातन: । हिंदु धर्म कोई संप्रदाय या मतान्ध धर्म सिद्धान्त, सूत्रो की गठरी, सामाजिक नियमों का संग्रह नहीं है, बल्कि एक शक्तिशाली, शाश्वत...