उपस्थिती का अनुभव
मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि तुम्हें अपने हृदय के केंद्र में पाना संभव है । ...
मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि तुम्हें अपने हृदय के केंद्र में पाना संभव है । ...
अगर तुम जीवन में एक भूल करो तो हो सकता है कि तुम्हें सारे जीवन कष्ट उठाना पड़े। इसका यह अर्थ नहीं है कि हर...
अवतार की सम्भावना पर विश्वास करने या न करने से प्रकट तथ्य पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। अगर भगवान किसी मानव शरीर में अभिव्यक्त होने...
मधुर माँ, यहाँ अपने कमरे में बैठ कर ध्यान करने और सबके साथ खेल के मैदान में ध्यान के लिए जाने में क्या फर्क है...
तुम इस समय यहाँ, यानी, धरती पर इसलिए हो क्योंकि एक समय तुमने यह चुनाव किया था – अब तुम्हें इसकी याद नहीं है, पर...
मधुर माँ, आप अपने वार्तालाप में कहती हैं की हमें सच्ची आध्यात्मिक अनुभूति पाने के लिए डुबकी लगानी चाहिये । क्या उसे केवल...
… बहुत कम लोग हैं, बहुत ही कम, उनकी संख्या न के बराबर है, जो सच्ची धार्मिक भावना के साथ गिरजाघर या मंदिर जाते हैं,...
अगर तुम कुछ न करो तो तुम्हें अनुभव नहीं हो सकता। सारा जीवन अनुभव का क्षेत्र है। तुम्हारी हर एक गति, तुम्हारा हर एक विचार,...
मुझे लगता है कि हम तेरे मंदिर के गर्भगृह के हृदय में जा पहुंचे हैं और तेरी ही इच्छा के बारे में अभिज्ञ हो गये...
मेरे अनुभव के अनुसार तो जब लोग एकान्तवास करते हैं तो तमस् में जा गिरते हैं । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)