आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें अनुभूति पाने की कुछ क्षमता…
जब तक कि मनुष्य अपने अन्दर गहराई में नहीं जीता और बाहरी क्रिया-कलापों को बस सत्ता की सतह के रूप…
मेरी प्यारी नन्ही बच्ची, सचमुच यदि तुम सब कुछ भगवान के संरक्षण में छोड़ दो तो तुम्हारा हृदय शांति में…
केवल शांत स्थिरता में ही सब कुछ जाना और किया जा सकता है। जो कुछ उत्तेजना और उग्रता में किया…