
भागवत आर्लिंगन
एक बार एक महिला श्रीमाँ के दर्शन करके उनके कक्ष से बाहर आयीं। वे भागवत प्रेम से अभिभूत थी। हृदय में उल्लास इस प्रकार उमड़...
एक बार एक महिला श्रीमाँ के दर्शन करके उनके कक्ष से बाहर आयीं। वे भागवत प्रेम से अभिभूत थी। हृदय में उल्लास इस प्रकार उमड़...
जब भक्त लोग श्रीमाँ के दर्शन को जाते थे तो उनके दिव्य रूप और माधुरी के प्रभाव से सुध-बुध खो बैठते थे। समय कैसे पंख...
मोनिका चंदा अपने दोनों नेत्रों की दृष्टि खो बैठी थी। फिर भी यह वृद्ध भक्त-साधक महिला अपने वैभवमय जीवन को विस्मृत करके अकेली ही एक...
तरुणी गार्गी कालरा आश्रम अस्थायी रूप से आयी थीं। उनके पिता ने उनसे कहा था, “तुम आश्रम जाओ तथा वहाँ जो कुछ भी सीखने को...
श्रीमाँ एक तश्तरी में टॉफी लेकर आती थी तथा ऊपर के बरामदे में प्रतीक्षा करते हुए हर साधक को एक-एक टॉफी फेंकती थीं। साधक उन्हें...
सावित्री अग्रवाल ने १९४० के दशक के आरंभ में जब प्रथम बार श्रीअरविंद और श्रीमाँ के दर्शन किये तभी उन्होने निर्णय लिया कि उस दिन...
श्री पृथ्वीसिंह नाहर की पुत्रवधू राजसेना अपने तीन नन्हें-मुन्नों को लेकर आश्रम में रहती थीं। एक दिन उसकी तीन वर्षीया पुत्री लूसी अपनी सहेली गौरी...
लता जौहर बचपन में प्रखर स्वभाव की बालिका थी। लगभग ५० वर्ष पूर्व की बात है, एक दिन बालिका लता किसी बात पर कुपित हो...
सांसारिक जीवन का परित्याग करने से पहले साधू बनमालीदास बिहार में जज थे। बाद में उन्होने नर्मदा के तट पर एक छोटा-सा आश्रम बना लिया...
एक बार जब गार्गी अपने जन्मदिन पर श्रीमाँ को प्रणाम करने गयी तब वह बोल उठी, “माँ, मैं आपसे सतत और सचेतन रूप से एक...