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श्रीअरविंद

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सामान्य प्रक्रिया
880

सामान्य प्रक्रिया

by श्री माँ 1 वर्ष ago1 वर्ष ago
अंतरात्मा का अनुसरण
1160

अंतरात्मा का अनुसरण

by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 250
    महर्षि श्रीअरविंद अपने कक्ष में
    श्रीअरविंद के वचन

    अचंचलता की अवस्था

    अचंचलता उस अवस्था को कहते हैं जब मन या प्राण विक्षुब्ध, अशांत तथा विचारों और भावनाओं के द्वारा बहिर्गत या परिपूर्ण न हों। विशेषत. जब...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद का चित्र
    श्रीअरविंद के वचन

    साधना में दृढ़ आधार

    समता के बिना साधना में दृढ़ आधार नहीं बन सकता। परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी अप्रिय हों, दूसरों का व्यवहार चाहे कितना भी अरुचिकर हो, तुम्हें पूर्ण...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद के पत्र
    श्रीअरविंद के वचन

    चैत्य पुरुष का प्रभुत्व

    एक बच्चे की तरह बन जाना और अपने-आपको संपूर्णतः  दे देना तब तक असम्भव है , जब तक कि चैत्य पुरुष का प्रभुत्व न हों...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    Sri Aurobindo photographed in his room
    श्रीअरविंद के वचन

    अचंचल मन का अर्थ

    अचंचल मन का अर्थ यह नही है कि उसमें कोई विचार या मनोमय गतियाँ एक- दम होगी ही नही, बल्कि यह अर्थ है कि ये...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
  • 1230
    Sri Aurobindo in his room
    श्रीअरविंद के वचन

    अभीप्सा का तात्पर्य

    अभीप्सा का तात्पर्य है, शक्तियों को पुकारना । जब शक्तियाँ प्रत्युत्तर दे देती हैं, तब शान्त-स्थिर ग्रहणशीलता की, एकाग्र पर स्वतःस्पर्श ग्रहणशीलता की एक स्वाभाविक...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 2 वर्ष ago2 वर्ष ago
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    श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    श्रीअरविंद के वचन

    श्री माँ की ओर खुले रहने का तात्पर्य

    ​श्रीमाँ की ओर खुले रहने का तात्पर्य है बराबर शांत-स्थिर और प्रसन्न बने रहना तथा दृढ़ विश्वास बनाये रखना न कि चंचल होना, दुःख करना या...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
  • 310
    श्रीअरविंद के पत्र
    श्रीअरविंद के वचन

    अधिक पाने के लिये अभीप्सा

    मनुष्य को जो कुछ उसे मिलता है उससे संतुष्ट रहना चाहिये फिर भी शांत- रूप से, बिना संघर्ष के, और अधिक पाने के लिये अभीप्सा करनी...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 3 वर्ष ago3 वर्ष ago
  • 460
    Sri Aurobindo
    श्रीअरविंद के वचन

    बंदीगृह और ध्यान-मंदिर

    ” जब मैं ‘अज्ञान’ में सोया पड़ा था, तो मैं एक ऐसे ध्यान-कक्ष में पहुंचा जो साधू-संतों से भरा था | मुझे उनकी संगति उबाऊ...

    श्रीअरविंद
    by श्रीअरविंद 9 वर्ष ago9 वर्ष ago

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3 conditions of yoga auroville bases of yoga Mirra Alfassa Priti Das Gupta Sri Aurobindo Ashram sri aurobindo The Mother The Mother of Sri Aurobindo Ashram Pondicherry The Mother on Sports अध्यात्मिकता आंरोंविल आश्वासन कृपा निद्रा और स्वप्न पूर्ण योग प्रीति दास गुप्ता भागवत उपस्थिती भारत के लिये संदेश माताजी की झाकियां माताजी के वचन भाग-१ माताजी के वचन भाग-२ माताजी के वचन भाग - ३ माताजी के विषय में मातृवाणी योग योग समन्वय यौवन वयवहारिक ज्ञान साधकों के लिये विचार और सूत्र के प्रसंग में विश्वास व्यावहारिक ज्ञान साधकों के लिये शिक्षा के ऊपर श्रद्धा श्री अरविंद श्रीअरविंद श्रीअरविंद के वचन श्री अरविद श्री माँ श्री माँ अपने बारे में श्री माँ के बारें में श्री माँ के बारे में श्री माँ के संस्मरण श्री माँ शरीर के बारें में साधना साधना के संकेत श्री माँ द्वारा
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    भगवती माँ की कृपा

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    श्रीमाँ का कार्य

    श्रीमाँ का कार्य

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    भगवान की आशा

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    जीवन का उद्देश्य

    जीवन का उद्देश्य

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    दुश्मन को खदेड़ना

    दुश्मन को खदेड़ना

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    आलोचना की आदत

    आलोचना की आदत

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    कृतज्ञता

    कृतज्ञता

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    अनुशासन

    अनुशासन

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    भागवत मुस्कान का ध्यान

    भागवत मुस्कान का ध्यान

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    मनोबल

    मनोबल

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    तुम्हारा चुनाव

    तुम्हारा चुनाव

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    खिन्नता

    खिन्नता

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    मेरी इच्छा

    मेरी इच्छा

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    ज्ञान

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    मानसिक रूपायण

    मानसिक रूपायण

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    नयी चीज़ का डर

    नयी चीज़ का डर

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    युवकों को आह्वान

    युवकों को आह्वान

  • श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
    प्रत्येक का अपना तरीका

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