
प्रयत्न कभी नहीं छोड़ना चाहिये
बस, इसी श्रद्धा को तुम्हें अपने अन्दर विकसित करने की आवश्यकता है-युक्ति-तर्क और साधारण समझ के साथ मेल खाने वाली यह श्रद्धा उत्पन्न करने की...
बस, इसी श्रद्धा को तुम्हें अपने अन्दर विकसित करने की आवश्यकता है-युक्ति-तर्क और साधारण समझ के साथ मेल खाने वाली यह श्रद्धा उत्पन्न करने की...
यदि कोई कहे : “मुझे परिणाम के विषय में निश्चय है, मैं जानता हूं कि मैं जो चाहता हूं वह भगवान् मुझे देंगे,” तो क्या...
जब तुम अपने-आपको देते हो तो पूरी तरह दो, बिना किसी मांग के, बिना किसी शर्त के और बिना किसी संकोच के दो, ताकि तुम्हारे...
जब मैं योग के विषय में कुछ भी नहीं जानता, यह भी नहीं जानता कि क्या करना चाहिये, तब मैं योग कैसे कर सकता हूं...
किसी भी तरह के हतोत्साह को अपने ऊपर हावी मत होने दो और ‘भागवत कृपा’ पर कभी अविश्वास न करो। तुम्हारे बाहर, तुम्हारे चारों ओर...
जो श्रद्धा वैश्व भगवान के प्रति जाती है वह लीला की आवश्यकताओं के कारण अपनी क्रियाशक्ति में सीमित रहती है। इन सीमाओं से पूरी तरह...
प्रकृति का ऐसा कोई विधान नहीं हैं जिसका अतिक्रमण न किया जा सके या जिसे बदला न जा सके, केवल हमारे अंदर यह विश्वास होना...
शिष्य : भौतिक प्रकृति के प्रतिरोध को रोकने के लिए क्या करना चाहिये ? श्रीअरविंद : तुम्हारे अंदर सत्य के लिए सम्पूर्ण अभीप्सा होनी चाहिये।...
जब हम अपनी चेतना से समस्त पराजयवाद को निकाल फेकेंगे तब हम सिद्धि की दिशा में एक बहुत बड़ी छलांग लगायेंगे। भागवत कृपा में अपनी...
श्रीअरविंद तथा श्रीमाँ के प्रभाव को ग्रहण करने के लिए श्रद्धा के साथ-साथ आवश्यकता है बस आध्यात्मिक पथ का अनुसरण करने के लिए पूर्ण सच्चाई...