
पशु-पक्षियों के प्रति अनुकम्पा
श्रीअरविंद थे परम करुणामय। वे पशु-पक्षियों तक की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते थे। कभी-कभी एक बिल्ली आकार आराम से उस कुर्सी पर सो जाती थी...
श्रीअरविंद थे परम करुणामय। वे पशु-पक्षियों तक की सुविधा-असुविधा का ध्यान रखते थे। कभी-कभी एक बिल्ली आकार आराम से उस कुर्सी पर सो जाती थी...
श्रीमाँ ने अपनी एक सहायिका से कहा था, “बहुत से लोग जब यहाँ आते है तब जो वस्तु उन्हें अशांत करती है, उन्हें उसी का...
एक अन्य अवसर पर जब मैगी श्रीमाँ का कमरा साफ कर रही थी, उसने एक खिड़की खोली जो दीर्घकाल से खोली नहीं गई थी। यध्यपि...
श्रीमाँ का कमरा सजावट की वस्तुओं से हमेशा भरा हुआ होता था जो उनको बच्चो ने बड़े प्रेम से भेंट की थी । मैगी माँ...
तरुणी गार्गी कालरा आश्रम अस्थायी रूप से आयी थीं। उनके पिता ने उनसे कहा था, “तुम आश्रम जाओ तथा वहाँ जो कुछ भी सीखने को...
लगभग ७०-८० वर्ष पूर्व की बात है श्रीमाँ के एक अनन्य भक्त मुरारी बाबू को अपना एक दांत निकलवाना पड़ा। उन दिनों दंत-चिकित्सा अत्यंत कष्टप्रद...
श्री पवित्र आश्रम के एक महान योगी और साधक थे। श्रीमाँ को अपने ये अनन्य भक्त और शिशु बहुत प्रिय थे। जीवन के अंतिम वर्षों...
श्रीमाँ एक तश्तरी में टॉफी लेकर आती थी तथा ऊपर के बरामदे में प्रतीक्षा करते हुए हर साधक को एक-एक टॉफी फेंकती थीं। साधक उन्हें...
सावित्री अग्रवाल ने १९४० के दशक के आरंभ में जब प्रथम बार श्रीअरविंद और श्रीमाँ के दर्शन किये तभी उन्होने निर्णय लिया कि उस दिन...
श्री पृथ्वीसिंह नाहर की पुत्रवधू राजसेना अपने तीन नन्हें-मुन्नों को लेकर आश्रम में रहती थीं। एक दिन उसकी तीन वर्षीया पुत्री लूसी अपनी सहेली गौरी...