
समग्र दृष्टि
हर एक के अपने विचार होते हैं और वह श्रीअरविन्द के लेखों में सें अपने विचारों का समर्थन करने वाले वाक्य खोज निकालता है । जो...
हर एक के अपने विचार होते हैं और वह श्रीअरविन्द के लेखों में सें अपने विचारों का समर्थन करने वाले वाक्य खोज निकालता है । जो...
ऐसा लगता है कि तुम यह मानते हो कि मैं एक बात कहती हूं और मेरा मतलब कुछ और होता है । यह अनर्गल बात...
योग के दृष्टिकोण से, तुम जो करते हो वह नहीं बल्कि तुम कैसे करते हो वह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है । कर्म का इतना अधिक...
तुम्हें दो चीजें कभी न भूलनी चाहियें : श्रीअरविन्द की अनुकम्पा और दिव्य मां का प्रेम । इन दो चीजों के साथ तुम शत्रुओं को...
कभी-कभी मनुष्य को न जानना भी जानना चाहिए। संदर्भ: श्रीमाँ का एजेंडा (भाग-१)
अचंचल मन का अर्थ यह नही है कि उसमें कोई विचार या मनोमय गतियाँ एक- दम होगी ही नही, बल्कि यह अर्थ है कि ये...
किसी भी ग़लत गति को भूमिगत की जगह उसे निवेदित कर देना चाहिये। उस चीज़ को, स्वयं उस गति को प्रकाश के सामने प्रक्षिप्त करना...
तुम सभी, मेरे बच्चो, मैं तुमसे यह कह सकती हूँ, मैंने यह कई बार दोहराया है और एक बार फिर दोहरा रही हूँ-तुमलोग एक असाधारण...
भगवान् के प्रति पूर्ण आत्मदान के लिए तीन विशेष विधियां : १. सारे गर्व को त्याग कर पूर्ण नम्रता के साथ अपने-आपको ‘उनके’ चरणों में...
१. कोई महत्त्वाकांक्षा न रखो, और सबसे बढ़कर यह कि किसी चीज का दिखावा न करो, हर क्षण, तुम अधिक-से-अधिक जो हो सकते हो वह...