
प्रार्थना
. . . फिर भी कितने धीरज की जरूरत है ! प्रगति की अवस्थाएँ कितनी अदृश्य-सी हैं ! … ओह ! मैं तुझे अपने हृदय...
. . . फिर भी कितने धीरज की जरूरत है ! प्रगति की अवस्थाएँ कितनी अदृश्य-सी हैं ! … ओह ! मैं तुझे अपने हृदय...
मधुर माँ, हम प्रायः कोई नयी चीज़ करने से डरते हैं, शरीर नये तरीके से क्रिया करने से इंकार करता हैं, जैसे जिम्नास्टिक में कोई...
मोनिका चंदा अपने दोनों नेत्रों की दृष्टि खो बैठी थी। फिर भी यह वृद्ध भक्त-साधक महिला अपने वैभवमय जीवन को विस्मृत करके अकेली ही एक...
प्रकृति का ऐसा कोई विधान नहीं हैं जिसका अतिक्रमण न किया जा सके या जिसे बदला न जा सके, केवल हमारे अंदर यह विश्वास होना...
आज सवेरे मैं पाँच मिनट काम करके ही थक गया। काम था बस फ़र्निचर पर पॉलिश करना ! सभी शारीरिक कामों में कई बार शुरू...
माताजी, २६ वर्ष प्रयास करने के बाद भी में देखता हूँ कि मैं निष्ठावान होने से बहुत दूर हूँ। छोटी-छोटी बातें मुझे असंतुलित कर देती...